Thursday, August 27, 2009

ये वः चित्रकार है जो एनोतोमी पढ़ते है ?


ये हमारे गुरूजी है जो मुझे एनोतोमी पढाते है, उसके बदले लड़कियों के अंगो को स्पर्श करते है और अपनी गाड़ी में बैठा कर ले आते ले जाते है इसी काम के लिए प्रिंसिपल इनको अपने करीब रखता है, लड़कियों से गन्दी गन्दी बातें करना इनकी आम आदत है ? पर क्या करू मई जो जाट जट्टा ठहरा कुछ भी हो मुझे तो इनसे नंबर चाहिए?

Thursday, August 20, 2009

सीट बढ़ने का नोटिस लगने पर मनाया


सीट बढ़ने का नोटिस लगने पर मनाया जश्न

Aug 20, 11:51 pm

गाजियाबाद, वसं : एमएमएच कॅालेज में 20 प्रतिशत सीट बढ़ोत्तरी का नोटिस लगने के बाद छात्रों ने जश्न मनाया।

कॅालेज में सुबह नोटिस बोर्ड पर बीए, बीकॉम व बीएससी में 20 प्रतिशत सीट की बढ़ोत्तरी का नोटिस देखकर छात्र काफी खुश नजर आए। छात्र नेता इंद्र नागर के नेतृत्व में छात्र ढोल की थाप पर जमकर झूमे, और मिठाई बांटकर जश्न मनाया। गौरतलब है कि छात्र नेता इंद्र नागर के नेतृत्व में छात्र सीट बढ़ोत्तरी की मांग पर भूख हड़ताल पर भी बैठे थे। उन्होंने कई बार आंदोलन भी किया था। इस मौके पर अंकुर यादव, महेश, राहुल, कुणाल, मनोज व विपिन आदि भी उपस्थित थे

Sunday, August 16, 2009

ग़ज़ल


ग़ज़ल

हम तुम न होते
तो ये रिश्ते न होते।

ये रिश्ते न होते तो
जिंदगानी के इतने किस्से न होते।

इतने रस्मो-रिवाज़ न होते
इस दुनिया के इतने हिस्से न होते।

न ज़मीं होती न आसमां होता
इस आसमां में उड़ते परिंदे न होते।

न साज़ होता न आवाज़ होती
जीवन-संगीत के इतने साजिन्दे न होते।

न ख़ुदा होता न खुदाई होती
हर जगह उसके इतने कारिन्दे न होते।

"प्रताप" अगर ये मुल्क न होता तो
हम जैसे उश्शाक सरफ़रोश बाशिंदे न होते।

ग़ज़ल


ग़ज़ल

कुछ तुम कहो, कुछ हम कहें
गमे-वक्त कुछ तुम सहो, कुछ हम सहें.

ये सफ़र हो कितना भी तवील
कुछ तुम चलो, कुछ हम चलें।

हादसों के सफ़र में, दर्द अपनों के
कुछ तुम सुनो, कुछ हम सुनें।

इल्ज़ाम न दो किसी और को, रश्क में
कभी तुम गिरे, कभी हम गिरे।

तसव्वुरों के खेत में काटते ख्वाबे-फ़सल
कभी तुम मिले, कभी हम मिले।

रंगीन शबों से ऊबकर, तन्हा रातों से
कभी तुम मिले, कभी हम मिले।

मोहब्बत की चाह लिए, खुलूसे-अंजुमन में
"प्रताप" कभी तुम मिले, कभी हम मिले।

हसरतों के सहरा में उम्मीदे-गुल बनकर
कभी तुम मिले, कभी हम मिले।

Thursday, August 13, 2009

Kavita

dfork

vkf[kj bruk D;ksa brjk jgs gks\

eq>dks D;k dqN fn[kk jgs gks]

le> jgs gks cgqr feyk gS

fdldks ;g lc fn[kk jgs gks]

ftl rjg dh dkfcfy;r gS

mldks fdlls crk jgs gks]

viuh gkyr ,slh djds

fdl ij rqe eqLdqjk jgs gks]

yxrk ugh fd fuoZL= gks rqe

ftruk igu ds brjk jgs gks]

og Hkh mlh dk fn;k gqvk gS

utjsa ftlls cpk jgs gks]

fnu rks og Hkh vk,axs tYnh

ftlls bruk ?kcjk jgs gks]

yksx vius vius ugh gS

xSjksa dks xys yxk jgs gks]

dSls bu ij bruk Hkjkslk

dSlk lehdj.k cuk jgs gks]

ftudks [kqnk le> jgs gks

muds [kqnk dks Hkqyk jgs gks]

LokFkksZa ds Hkaoj tky esa

eNyh tSls brjk jgs gks]

oDr bruk rkdroj gS

u tkus fdruksa dks gS jkSank

ftl ij lhuk@Nkrh Qqyk jgs gks]

og rqedks gS [kwc le>rk

ftldks mYyw cuk jgs gks]

viuh jxksa ds jDr tykdj

fdldks bruk rik jgs gks

vkf[kj ;wa D;ksa brjk jgs gks

eq>dks D;k dqN fn[kk jgs gks]

वाह तोमर साहब.....? यह शौक भी पूरा कर लिया !

Tuesday, August 11, 2009

एम एम एच कालेज के दुर्दिन






ज्ञान साधक सिंह
एम एम एच कालेज के दुर्दिन - जब भगोड़ा प्रिंसिपल हो, लुटेरे उसके इर्द गिर्द और तो और आर सी तोमर जैसा फ्लाप नेता कार्यवाहक प्राचार्य जिसकी इमेज ही कालेज न आने की हो, कहाँ गए वो लोग जिन्हें मनपाल ने तैयार किया था, चाहे वह पहलवानों की हो या गुंडों की या आर्थिक लुटेरों की या चरित्रहरन करतायों की,
पर यह सब क्यों हो रहा है और किसकी वजह से हो रहा है ? कौन जिम्मेदार है इसके लिए देखेगा कौन .
अपराधी प्रवृत्ति का प्रिंसिपल अकेले महाविद्यालय को हरप गया हो, लगभग १५० शिक्षकों में से कुछेक को छोड़ दिया जाये तो सारे के सारे इस अपराधी के आगे घुटने टेके खड़े है चाहे वह पुरुष हो या महिलाएं टीचर .
टीचर आज इतना कमजोर हो जायेगा और धन पिपासु होगा यह बदलते दौर का मामला तो हो सकता है पर उसके संघर्ष के सारे मनसूबे मर जायेगे यह इसी दौर में हो रहा है. शिक्षको के ठेकेदार और लठैत जो नेता बने बैठे है क्या उनमे शिक्षक होने की लेस मात्र चरित्र बचा है वे धड़ल्ले से शिक्षक नेता होने के अरमान पूरे कर रहे है. इनकी अस्मिता यह नहीं कहती की चूरियां डाल कर सफ़ेद चादर ओढ़ कर विधवा सुहागन बने नज़र आ रहे है, शहादत की कीमत का कमीशन इनको खडा किये हुए है संसथाएं डूब रही है और ये डुबो रहे है .
दूसरी ओर समाज समाज की संवेदनाये सूख गयी है , जो इन्हें बर्दाश्त कर रहे है जिन छात्रों का इस्तेमाल करके यह शिक्षक समाज इतनी मोटी तनख्वाह ले रहा है बदले में दे रहा है बदहवासी,बेहूदगी,बदतमीजी,बदमिजाजी,आचरण हीनता, दुर्बुधि और उनके नाम पर लूट रहा है पारिश्रमिक जब इन पढ़े लिखे नौजवानों की जीविका का सवाल आता है तो, ये बनने के दौर में होते है चपरासी उसके लिए लाखों लाख का घूश और एम एम एच कालेज में चपरासी की नौकरी.
आज इन्ही चपरासियों के ऊपर या सहारे कालेज से भाग करके मनपाल सिंह अपने घर में सोकर नौकरी कर रहा है प्रिन्सपली नहीं प्रिंसपल के तो प्रिन्स्पुल होते है इनका यानि मनपाल को पैसा.
आर सी तोमर और मनपाल पुराने जुआरी है यह बात करीब करीब वह सभी लोग जानते है जो जरा भी इनके संपर्क में रहे है .
मानपाल के बारे में जो ख्याति है वह एक अच्छे ट्यूशन पढाने वाले टीचर की है, पर कालेज में इन्हें डरपोक शिक्षक के रूप में ही जाना जाता रहा है, हाँ यह अपने शुरूआती दौर के काफी आहात टीचर
रहे है संस्थापक प्राचार्य माथुर साहब ने तो इन्हें निकाल बहार भी किया था क्योंकि यह बदतमीज थे , घमंडी थे , अराजक था इसे माथुर साहब ने इसके तत्कालिन कुलपति कपूर साहब के पैर पकड़ने पर और उनके ही कहने पर पुनः ज्वाइन कराया गया.
दुसरे इसके मित्र तोमर जो बीसियों वर्षों से क्लास में गए ही नहीं वह कार्यवाहक प्राचार्य बने और इन्हें शर्म भी नहीं आयी भला शर्मायें भी कैसे जब ये भाजपा छोड़ते नहीं शरमाये जिसने इन्हें सब कुछ दिया यहाँ तक चार चार बार एम पी बनाया उसको यह आदमी छोड़ गया कहते है आर एस एस वाले पक्के होते है ये कितना कच्चा निकले.
आजकल कांग्रेस में गए है लगता है वहां कुछ हाथ नहीं लगा तो भागे भूत की लंगोट ही सही तो एम एम एच कालेज ही सही. पर इन्हें यह नहीं भूलना चाहिए की घर का जोगी जुगाडिया वाह्य गाँव का संत वह दिन दूर नहीं जब बीसियों साल की बेईमानी का हिसाब संत के महाविद्यालय में इनको देना होगा .......................