Thursday, October 8, 2009

फ्रेशर पार्टी में सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजि.....................


Oct 08, 10:46 pm

गाजियाबाद, वसं : एमएमएच कालेज के भौतिक विज्ञान संकाय में फ्रेशर पार्टी का आयोजन किया गया। इसमें छात्रों ने सांस्कृतिक कार्यक्रम प्रस्तुत किए।

कालेज परिसर में भौतिक विज्ञान विभाग में आयोजित कार्यक्रम में एमएससी अंतिम व प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं ने गीत संगीत के कार्यक्रम प्रस्तुत किए। इसी बीच दोनों वर्ष के छात्रों के बीच औपचारिक परिचय भी हुआ। प्राचार्य डा.एम.पी.सिंह, विभागाध्यक्ष डा.केशव कुमार, डा.ए.के.जैन व डा.कमलवीर त्यागी आदि भी उपस्थित परन्तु विभाग के अन्य सदस्य गायब थे |

भारत है बालिका बधुओं का देश!


नई दिल्ली। भारत निरंतर एक विश्वशक्ति बनने की राह पर अग्रसर है। इसकी प्रतिभा का लोहा पूरी दुनिया मान रही है। लेकिन कई बार इंडिया की ऐसी तस्वीर भी देखने को मिलती है जिसमें उसका खूबसूरत चेहरा कहीं छिप जाता है।

दो दिन पहले ही एक रिपोर्ट में इंडिया में हाई चाइल्ड मोरटेलिटी रेट की खबर आई थी। अब यूनीसेफ ने यह कहकर इंडिया की चिंता और बढ़ा दी है कि यहां दुनिया की एक तिहाई बाल बधुएं हैं।

टीवी सीरियल बालिका वधु में आनंदी और जगदीश की कहानी का उद्धेश्य निश्चित ही चाइल्ड मैरिज की प्राब्लम को उजागर करना है। लेकिन इंडिया में लाखों ऐसी आनंदी हैं जिनकी छोटी उम्र में ही शादी कर उनका बचपन उनसे छीन लिया गया है। यूनाइटेड नेशंस की यूनिट यूनीसेफ ने अपनी नई रिपोर्ट 'प्रोग्रेस फॉर चिल्ड्रन: ए रिपोर्ट कार्ड ऑन चाइल्ड प्रोटेक्शन' में कहा गया है कि लिट्रेसी रेट बढ़ने और चाइल्ड मैरिज पर कानूनी रोक होने के बावजूद भारत में धर्म और परंपराओं के चलते चाइल्ड मैरिज आज भी जारी है।

रिपोर्ट के अनुसार, व‌र्ल्ड की एक तिहाई चाइल्ड मैरिज अकेले इंडिया में ही होती हैं, जबकि यहां कई नवजात बच्चों का बर्थ रजिस्ट्रेशन भी नहीं कराया जाता है।

साउथ एशिया में दुनिया के किसी अन्य हिस्से के मुकाबले सबसे अधिक चाइल्ड मैरिज होने को रेखांकित करते हुए रिपोर्ट में कहा गया है कि इंडिया और नेपाल में सबसे अधिक चाइल्ड मैरिज होती हैं जो दस परसेंट या उससे अधिक हैं।

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि व‌र्ल्ड की आधे से अधिक बालिका वधुएं साउथ एशिया में हैं। यह भी कहा गया है कि 2007 में इंडिया में 2.5 करोड़ ग‌र्ल्स की मैरिज 18 साल की एज तक कर दी गई थी। इतना ही नहीं इंडिया, बांग्लादेश और नेपाल में कई लड़कियों की शादी दस साल की एज के अंदर ही कर दी गई है।

नो बर्थ रजिस्ट्रेशन

इसी क्षेत्र में आधे से अधिक नवजात शिशुओं के जन्म को रजिस्टर ही नहीं किया जाता। रिपोर्ट कहती है कि एक अनुमान के अनुसार, साउथ एशिया में 2007 में 47 परसेंट बच्चों का जन्म के समय रजिस्ट्रेशन नहीं किया गया और ऐसे दो करोड़ 40 लाख बच्चों में से दस लाख 60 हजार इंडिया से थे। रिपोर्ट के अनुसार, 2000-08 के बीच अफगानिस्तान में सिर्फ 6 परसेंट और बांग्लादेश में 10 परसेंट ही बर्थ के रजिस्ट्रेशन कराए गए थे, जबकि इंडिया में 41 परसेंट और मालदीव में 73 परसेंट बर्थ रजिस्टर्ड थे।

इंडिया में तीन करोड़ चाइल्ड लेबर

यूनीसेफ की बाल संरक्षण विभाग की प्रमुख सुसेन बिसेल ने कहा कि हमें कार्रवाई के लिए डेटा की जरूरत है। हम इस मामले में सुनिश्चित हो सकते हैं कि यदि हमारी कार्रवाई सबूतों पर आधारित है तो हम जो कर रहे हैं वह सही है।

चाइल्ड लेबर के संबंध में यूनीसेफ ने अनुमान व्यक्त किया है कि दुनियाभर में पांच से 14 साल की एज के 15 करोड़ बच्चे चाइल्ड लेबर के दंश को झेल रहे हैं। रिपोर्ट कहती है कि साउथ एशियाई क्षेत्र के 13 परसेंट बच्चे यानी करीब चार करोड़ 40 लाख चाइल्ड लेबर हैं। इनमें से करीब तीन करोड़ बच्चे अकेले भारत में निवास करते हैं।

बनानी होगी पॉलिसी

रिपोर्ट में कहा गया है कि इन डेटाज के बेस पर चाइल्ड लेबर की समाप्ति के लिए क्षेत्र आधारित नीतियां बनाना जरूरी है। इसके साथ ही यह भी बताया गया है कि चाइल्ड लेबर, प्रॉस्टीट्यूशन और घरेलू कामकाज के लिए बहुत से नेपाली बच्चों का इंडिया में शोषण होता है। इसी मकसद से बहुत से पाकिस्तानी लड़के, लड़कियों को मानव तस्करी के जरिए अफगानिस्तान ले जाया जाता है।

तो तरक्की नहीं करेगी सोसाइटी

यूनीसेफ की चीफ एन्ना वेनमैन ने कहा कि यदि किसी समाज के इतने छोटे बच्चों का जबरन बाल विवाह, सैक्स वर्कर के तौर पर शोषण किया जाएगा और उन्हें मूल अधिकारों से वंचित किया जाएगा तो वह समाज तरक्की नहीं कर सकता। वेनमैन ने कहा कि बच्चों के अधिकारों के हनन की गंभीरता को समझना पहला कदम है ताकि एक ऐसा माहौल बनाया जा सके जहां बच्चे सुरक्षित हों और उनकी क्षमताओं का पूर्ण विकास करने में मदद मिल सके।

Monday, September 14, 2009

देवी पूजा क्यों?

देवी पूजा क्यों?

Sep 14, 11:14 pm

सनातन धर्म सदा से शक्ति का उपासक रहा है। देवताओं की तुलना में देवियों की उपासना अधिक होती रही है। देवताओं के नामों के उच्चारण में उनकी शक्ति का ही नाम पहले आता है। साधारण देवों की बात क्या करें, संसार के पालनकर्ता विष्णु और महेश के साथ भी यही बात है। विष्णु अथवा नारायण की पत्नी हैं लक्ष्मी, इसलिए हम लक्ष्मीनारायण उच्चारण करते हैं। इसी प्रकार गौरीशंकर या भवानीशंकर संबोधित किया जाता है। विष्णु के अवतार राम और कृष्ण की बात करें, तो हम सीताराम, राधाकृष्ण संबोधित करते हैं।

तात्पर्य यह है कि ईश्वर या देवता से उसकी शक्ति का महत्व अधिक है। इसीलिए एक कवि ने राधा को कृष्ण से ऊपर मानते हुए लिखा—

मेरी भवबाधा हरौ, राधानागरि सोय।

जा तन की झांई पड़े, श्याम हरित दुति होय।।

अपनी सांसारिक बाधा दूर करने के लिए महाकवि बिहारी राधा से ही प्रार्थना करते हैं, न कि कृष्ण से। उनका मानना है कि राधा के प्रकाश के कारण ही कृष्ण का रंग हरा हो गया, अन्यथा वे काले रहते।

और तो और, श्रीराम के परम भक्त गोस्वामी तुलसीदास ने भी सीता का उल्लेख पहले और राम का बाद में किया। उनकी यह पंक्ति सर्वविदित है-

सियाराममय सब जग जानी।

करहुं प्रनाम जोरि जुग पानी।।

कब शुरू हुई शक्ति पूजा

शक्ति की पूजा कब शुरू हुई, यह नहीं कहा जा सकता। यह अनादि काल से होता आ रहा है। कृष्णचरित्र के अनुसार, श्रीकृष्ण की दिनचर्या में दुर्गा की उपासना सम्मिलित थी। श्रीराम ने भी रावण-वध के पूर्व शक्तिपूजा की थी। इसी को आधार बनाकर महाकवि निराला ने अपनी अति प्रसिद्ध कविता 'राम की शक्तिपूजा' लिखी।

वैदिक काल में भी शक्तिपूजा प्रचलित थी। वैदिक साहित्य में विशेषकर यजुर्वेद और अथर्ववेद में शक्तिपूजा का उल्लेख विशेष रूप से प्राप्त होता है। उपनिषदों में भी शक्तिपूजा की प्रधानता है। पुराणों में सर्वत्र शक्ति को महत्व मिला है।

यह उक्ति सभी जानते हैं कि शिव भी शिवा अर्थात पार्वती के बिना निर्जीव के समान हैं। आदि शंकराचार्य ने अपनी प्रसिद्ध कृति 'सौंदर्य लहरी' में स्पष्ट किया है कि शिव जब शक्ति से संपन्न होते हैं, तभी प्रभावशाली होते हैं।

इतिहास इस बात का साक्षी है कि सदा शक्ति का ही बोलबाला रहा है। मार्कडेय पुराण पर आधारित प्रसिद्ध पुस्तक 'दुर्गासप्तशती' में यह स्पष्ट उल्लेख है कि जिस सिंहवाहिनी दुर्गा ने राक्षसों का वध किया, वे ब्रह्मा, विष्णु और महेश के शरीर से निकली शक्ति से ही निर्मित हुई थीं। इसलिए यदि राक्षसों पर विजय प्राप्त की गई, तो शक्ति ने ही, ब्रह्मा, विष्णु, महेश या अन्य देवताओं ने नहीं।

ब्रह्म से श्रेष्ठ शक्ति

नवरात्र के अवसर पर बहुत से लोग दुर्गा सप्तशती का पाठ करते हैं। सामान्य दिनों में भी कई लोग इसका पाठ कर मनोवांछित फल प्राप्त करते हैं। ब्रह्म को सर्वोपरि माना जाता है, लेकिन शक्ति ब्रह्म से भी श्रेष्ठतर है। शक्ति की उपासना के संबंध में विश्व-प्रसिद्ध पीतांबरा पीठ, दतिया के संस्थापक श्री स्वामी जी ने एक श्रद्धालु के प्रश्न के उत्तार में जो कहा उसका तात्पर्य है- 'ब्रह्म तटस्थ है। वह सृष्टि के निर्माण, पालन या संहार का कारण नहीं है। यह सब ब्रह्म की शक्ति द्वारा ही संपन्न होता है। इसीलिए हमें इस शक्ति को माता-स्वरूप मान कर उसकी उपासना करनी चाहिए, तभी हम अपने अभीष्ट को प्राप्त कर सकते हैं। इस प्रकार सारा विश्व ही शक्तिमय है।'

शक्ति के महत्व के कारण ही भारत में अनेक शक्तिपीठ हैं। शक्तिपीठों की संख्या के संबंध में भिन्न-भिन्न मत हैं, लेकिन 'तंत्रचूड़ामणि' ग्रंथ के अनुसार, ऐसे 51 शक्तिपीठ हैं। इनमें कुछ प्रमुख के नाम हैं-ज्वालामुखी, कामाख्या, त्रिपुरसुंदरी, वाराही, काली, अंबिका, भ्रामरी, ललिता आदि।

इक्यावन शक्तिपीठ

एक कथा है कि दक्ष के यज्ञ-कुंड में शिवप्रिया सती ने अपनी आहुति दे दी थी। इसे देखकर शिव ने रौद्र रूप धारण कर लिया। उन्होंने सती को अपने कंधे पर लादकर अंतरिक्ष में चक्कर काटना शुरू कर दिया। सड़ते हुए शव को, देवताओं के अनुरोध पर विष्णु ने अपने सुदर्शन चक्र से टुकड़े-टुकड़े कर दिया। जहां-जहां ये टुकड़े गिरे, वहां-वहां एक शक्तिपीठ का निर्माण हो गया।

ऐसे इक्यावन शक्तिपीठों के अलावा, कुछ ऐसे भी शक्तिपीठ हैं, जो सती के अंगों के कारण नहीं बने। उस स्थान पर श्रद्धालु युगों से देवी की पूजा करते आ रहे हैं, इसलिए वह स्थान ऊर्जा-पूरित हो गया और उसे शक्तिपीठ की संज्ञा मिल गई। ऐसे स्थानों में हिमाचल की चिंत्यपूर्णी, नैनीताल की नैना देवी, प्रसिद्ध तीर्थस्थान वैष्णो देवी, उत्तार प्रदेश की विंध्यवासिनी आदि के नाम लिए जा सकते हैं। इसलिए कई स्थानों पर शक्तिपीठों की संख्या एक सौ आठ बताई जाती है।

मातृ-स्वरूपा शक्ति

शक्ति के रूप में उपासना का एक महत्वपूर्ण कारण यह है कि शक्ति देवी-रूपा या मातृ-स्वरूपा हैं। माता के अंदर वात्सल्य-भाव मौजूद होता है। वे करुणामयी हैं। भक्तों की विपत्तिा-आपत्तिसहन नहीं कर पाती हैं। इसलिए ऐसा माना जाता है कि इनसे की गई प्रार्थना तत्काल और निश्चित फल देती है। ऐसी सर्वशक्तिमयी माता के रहते किसी और की आराधना-पूजा क्यों की जाए? यही विश्वास हमें शक्ति साधना की ओर प्रेरित करता है।

डॉ. भगवतीशरण मिश्र

Friday, September 4, 2009

इसी काम के लिए प्रिंसिपल इनको अपने करीब रखता है,


ये हमारे गुरूजी है जो मुझे एनोतोमी पढाते है, उसके बदले लड़कियों के अंगो को स्पर्श करते है और अपनी गाड़ी में बैठा कर ले आते ले जाते है इसी काम के लिए प्रिंसिपल इनको अपने करीब रखता है, लड़कियों से गन्दी गन्दी बातें करना इनकी आम आदत है ? पर क्या करू मई जो जाट जट्टा ठहरा कुछ भी हो मुझे तो इनसे नंबर चाहिए? इनके फोन सुनाऊ........................या इनके फोन की रिकॉर्डिंग सुनिए ?


बहुत बुरा लगा था पीछे बैठ..................

बहुत बुरा लगा था पीछे बैठना

Sep 04, 10:24 pm

यह संयोग भारत में ही संभव हो सकता था कि एक शिक्षक राष्ट्रपति बन जाए और एक राष्ट्रपति शिक्षक। बात हो रही है क्रमश: डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन (जिनका जन्मदिन आज शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जा रहा है) और डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम की, जो राष्ट्रपति पद से मुक्त होने के बाद कई शिक्षण संस्थानों में अतिथि शिक्षक के रूप में सेवा दे रहे है। आओ, जानते है डॉ. कलाम के स्कूली दिनों और उन शिक्षकों के बारे में, जिन्होंने उन पर प्रभाव डाला -

मेरा जन्म मद्रास राज्य के रामेश्वरम् कस्बे में एक मध्यमवर्गीय तमिल परिवार में हुआ था। मेरे पिता जैनुलाबदीन की कोई बहुत अच्छी औपचारिक शिक्षा नहीं हुई थी और न ही वे कोई बहुत धनी व्यक्ति थे। इसके बावजूद वे बुद्धिमान थे और उनमें उदारता की सच्ची भावना थी। मेरी मां, आशियम्मा, उनकी आदर्श जीवनसंगिनी थीं। हम लोग अपने पुश्तैनी घर में रहते थे। रामेश्वरम् की मसजिदवाली गली में बना यह घर पक्का और बड़ा था।

[बहुत बुरा लगा था पीछे बैठना]

बचपन में मेरे तीन पक्के दोस्त थे- रामानंद शास्त्री, अरविंदन और शिवप्रकाशन। जब मैं रामेश्वरम् के प्राइमरी स्कूल में पांचवीं कक्षा में था तब एक नए शिक्षक हमारी कक्षा में आए। मैं टोपी पहना करता था, जो मेरे मुसलमान होने का प्रतीक था। कक्षा में मैं हमेशा आगे की पंक्ति में जनेऊ पहने रामानंद के साथ बैठा करता था। नए शिक्षक को एक हिंदू लड़के का मुसलमान लड़के के साथ बैठना अच्छा नहीं लगा। उन्होंने मुझे पीछे वाली बेंच पर चले जाने को कहा। मुझे बहुत बुरा लगा। रामानंद भी मुझे पीछे की पंक्ति में बैठाए जाते देख काफी उदास नजर आ रहा था। स्कूल की छुट्टी होने पर हम घर गए और सारी घटना अपने घरवालों को बताई। यह सुनकर रामानंद के पिता लक्ष्मण शास्त्री ने उस शिक्षक को बुलाया और कहा कि उसे निर्दोष बच्चों के दिमाग में इस तरह सामाजिक असमानता एवं सांप्रदायिकता का विष नहीं घोलना चाहिए। उस शिक्षक ने अपने किए व्यवहार पर न सिर्फ दु:ख व्यक्त किया, बल्कि लक्ष्मण शास्त्री के कड़े रुख एवं धर्मनिरपेक्षता में उनके विश्वास से उस शिक्षक में अंतत: बदलाव आ गया।

[रसोई के रास्ते टूटी रूढि़यां]

प्राइमरी स्कूल में मेरे विज्ञान शिक्षक शिव सुब्रह्मण्य अय्यर कट्टर ब्राह्मण थे, लेकिन वे कुछ-कुछ रूढि़वाद के खिलाफ हो चले थे। वे मेरे साथ काफी समय बिताते थे और कहा करते, 'कलाम, मैं तुम्हे ऐसा बनाना चाहता हूं कि तुम बड़े शहरों के लोगों के बीच एक उच्च शिक्षित व्यक्ति के रूप में पहचाने जाओगे।' एक दिन उन्होंने मुझे अपने घर खाने पर बुलाया। उनकी पत्नी इस बात से बहुत ही परेशान थीं कि उनकी रसोई में एक मुसलमान को भोजन पर आमंत्रित किया गया है। उन्होंने अपनी रसोई के भीतर मुझे खाना खिलाने से साफ इनकार कर दिया। अय्यर जी अपनी पत्नी के इस रुख से जरा भी विचलित नहीं हुए और न ही उन्हे क्रोध आया। उन्होंने खुद अपने हाथ से मुझे खाना परोसा और बाहर आकर मेरे पास ही अपना खाना लेकर बैठ गए। मै खाना खाने के बाद लौटने लगा तो अय्यर जी ने मुझे फिर अगले हफ्ते रात के खाने पर आने को कहा। मेरी हिचकिचाहट को देखते हुए वे बोले, 'इसमें परेशान होने की जरूरत नहीं है। एक बार जब तुम व्यवस्था बदल डालने का फैसला कर लेते हो तो ऐसी समस्याएं सामने आती ही है।' अगले हफ्ते जब मैं उनके घर रात्रिभोज पर गया तो उनकी पत्नी ही मुझे रसोई में ले गई और खुद अपने हाथों से मुझे खाना परोसा।

[तीन ताकतों को समझने का सबक]

15 साल की उम्र में मेरा दाखिला रामेश्वरम् के जिला मुख्यालय रामनाथपुरम् स्थित श्वा‌र्ट्ज हाई स्कूल में हुआ। मेरे एक शिक्षक अयादुरै सोलोमन बहुत ही स्नेही, खुले दिमागवाले व्यक्ति थे और छात्रों का उत्साह बढ़ाते रहते थे। रामनाथपुरम् में रहते हुए अयादुरै सोलोमन से मेरे संबंध काफी प्रगाढ़ हो गए थे। वे कहा करते थे, 'जीवन में सफल होने और नतीजों को हासिल करने के लिए तुम्हे तीन प्रमुख शक्तिशाली ताकतों को समझना चाहिए- इच्छा, आस्था और उम्मीदें।' उन्होंने ही मुझे सिखाया कि मैं जो कुछ भी चाहता हूं, पहले उसके लिए मुझे तीव्र कामना करनी होगी, फिर निश्चित रूप से मैं उसे पा सकूंगा। वे सभी छात्रों को उनके भीतर छिपी शक्ति एवं योग्यता का आभास कराते थे। वे कहा करते थे- 'निष्ठा एवं विश्वास से तुम अपनी नियति बदल सकते हो।'

[पिटाई के बाद मिली प्रशंसा]

श्वा‌र्ट्ज हाई स्कूल में कक्षाएं अहाते में अलग-अलग झुंडों के रूप में लगा करती थीं। एक दिन मेरे गणित के शिक्षक रामकृष्ण अय्यर किसी दूसरी कक्षा को पढ़ा रहे थे। अनजाने में ही मैं उस कक्षा से होकर निकल गया। तुरंत ही उन्होंने मुझे गरदन से पकड़ा और भरी कक्षा के सामने बेंत लगाए। कई महीनों बाद जब गणित में मेरे पूरे नंबर आए तब रामकृष्ण अय्यर ने स्कूल की सुबह की प्रार्थना में सबके सामने यह घटना सुनाई और कहा, 'मैं जिसकी बेंत से पिटाई करता हूं, वह एक महान् व्यक्ति बनता है। मेरे शब्द याद रखिए, यह छात्र विद्यालय और अपने शिक्षकों का गौरव बनने जा रहा है।' आज मैं सोचता हूं कि उनके द्वारा की गई यह प्रशंसा क्या एक भविष्यवाणी थी?

Thursday, August 27, 2009

ये वः चित्रकार है जो एनोतोमी पढ़ते है ?


ये हमारे गुरूजी है जो मुझे एनोतोमी पढाते है, उसके बदले लड़कियों के अंगो को स्पर्श करते है और अपनी गाड़ी में बैठा कर ले आते ले जाते है इसी काम के लिए प्रिंसिपल इनको अपने करीब रखता है, लड़कियों से गन्दी गन्दी बातें करना इनकी आम आदत है ? पर क्या करू मई जो जाट जट्टा ठहरा कुछ भी हो मुझे तो इनसे नंबर चाहिए?

Thursday, August 20, 2009

सीट बढ़ने का नोटिस लगने पर मनाया


सीट बढ़ने का नोटिस लगने पर मनाया जश्न

Aug 20, 11:51 pm

गाजियाबाद, वसं : एमएमएच कॅालेज में 20 प्रतिशत सीट बढ़ोत्तरी का नोटिस लगने के बाद छात्रों ने जश्न मनाया।

कॅालेज में सुबह नोटिस बोर्ड पर बीए, बीकॉम व बीएससी में 20 प्रतिशत सीट की बढ़ोत्तरी का नोटिस देखकर छात्र काफी खुश नजर आए। छात्र नेता इंद्र नागर के नेतृत्व में छात्र ढोल की थाप पर जमकर झूमे, और मिठाई बांटकर जश्न मनाया। गौरतलब है कि छात्र नेता इंद्र नागर के नेतृत्व में छात्र सीट बढ़ोत्तरी की मांग पर भूख हड़ताल पर भी बैठे थे। उन्होंने कई बार आंदोलन भी किया था। इस मौके पर अंकुर यादव, महेश, राहुल, कुणाल, मनोज व विपिन आदि भी उपस्थित थे

Sunday, August 16, 2009

ग़ज़ल


ग़ज़ल

हम तुम न होते
तो ये रिश्ते न होते।

ये रिश्ते न होते तो
जिंदगानी के इतने किस्से न होते।

इतने रस्मो-रिवाज़ न होते
इस दुनिया के इतने हिस्से न होते।

न ज़मीं होती न आसमां होता
इस आसमां में उड़ते परिंदे न होते।

न साज़ होता न आवाज़ होती
जीवन-संगीत के इतने साजिन्दे न होते।

न ख़ुदा होता न खुदाई होती
हर जगह उसके इतने कारिन्दे न होते।

"प्रताप" अगर ये मुल्क न होता तो
हम जैसे उश्शाक सरफ़रोश बाशिंदे न होते।

ग़ज़ल


ग़ज़ल

कुछ तुम कहो, कुछ हम कहें
गमे-वक्त कुछ तुम सहो, कुछ हम सहें.

ये सफ़र हो कितना भी तवील
कुछ तुम चलो, कुछ हम चलें।

हादसों के सफ़र में, दर्द अपनों के
कुछ तुम सुनो, कुछ हम सुनें।

इल्ज़ाम न दो किसी और को, रश्क में
कभी तुम गिरे, कभी हम गिरे।

तसव्वुरों के खेत में काटते ख्वाबे-फ़सल
कभी तुम मिले, कभी हम मिले।

रंगीन शबों से ऊबकर, तन्हा रातों से
कभी तुम मिले, कभी हम मिले।

मोहब्बत की चाह लिए, खुलूसे-अंजुमन में
"प्रताप" कभी तुम मिले, कभी हम मिले।

हसरतों के सहरा में उम्मीदे-गुल बनकर
कभी तुम मिले, कभी हम मिले।

Thursday, August 13, 2009

Kavita

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वाह तोमर साहब.....? यह शौक भी पूरा कर लिया !

Tuesday, August 11, 2009

एम एम एच कालेज के दुर्दिन






ज्ञान साधक सिंह
एम एम एच कालेज के दुर्दिन - जब भगोड़ा प्रिंसिपल हो, लुटेरे उसके इर्द गिर्द और तो और आर सी तोमर जैसा फ्लाप नेता कार्यवाहक प्राचार्य जिसकी इमेज ही कालेज न आने की हो, कहाँ गए वो लोग जिन्हें मनपाल ने तैयार किया था, चाहे वह पहलवानों की हो या गुंडों की या आर्थिक लुटेरों की या चरित्रहरन करतायों की,
पर यह सब क्यों हो रहा है और किसकी वजह से हो रहा है ? कौन जिम्मेदार है इसके लिए देखेगा कौन .
अपराधी प्रवृत्ति का प्रिंसिपल अकेले महाविद्यालय को हरप गया हो, लगभग १५० शिक्षकों में से कुछेक को छोड़ दिया जाये तो सारे के सारे इस अपराधी के आगे घुटने टेके खड़े है चाहे वह पुरुष हो या महिलाएं टीचर .
टीचर आज इतना कमजोर हो जायेगा और धन पिपासु होगा यह बदलते दौर का मामला तो हो सकता है पर उसके संघर्ष के सारे मनसूबे मर जायेगे यह इसी दौर में हो रहा है. शिक्षको के ठेकेदार और लठैत जो नेता बने बैठे है क्या उनमे शिक्षक होने की लेस मात्र चरित्र बचा है वे धड़ल्ले से शिक्षक नेता होने के अरमान पूरे कर रहे है. इनकी अस्मिता यह नहीं कहती की चूरियां डाल कर सफ़ेद चादर ओढ़ कर विधवा सुहागन बने नज़र आ रहे है, शहादत की कीमत का कमीशन इनको खडा किये हुए है संसथाएं डूब रही है और ये डुबो रहे है .
दूसरी ओर समाज समाज की संवेदनाये सूख गयी है , जो इन्हें बर्दाश्त कर रहे है जिन छात्रों का इस्तेमाल करके यह शिक्षक समाज इतनी मोटी तनख्वाह ले रहा है बदले में दे रहा है बदहवासी,बेहूदगी,बदतमीजी,बदमिजाजी,आचरण हीनता, दुर्बुधि और उनके नाम पर लूट रहा है पारिश्रमिक जब इन पढ़े लिखे नौजवानों की जीविका का सवाल आता है तो, ये बनने के दौर में होते है चपरासी उसके लिए लाखों लाख का घूश और एम एम एच कालेज में चपरासी की नौकरी.
आज इन्ही चपरासियों के ऊपर या सहारे कालेज से भाग करके मनपाल सिंह अपने घर में सोकर नौकरी कर रहा है प्रिन्सपली नहीं प्रिंसपल के तो प्रिन्स्पुल होते है इनका यानि मनपाल को पैसा.
आर सी तोमर और मनपाल पुराने जुआरी है यह बात करीब करीब वह सभी लोग जानते है जो जरा भी इनके संपर्क में रहे है .
मानपाल के बारे में जो ख्याति है वह एक अच्छे ट्यूशन पढाने वाले टीचर की है, पर कालेज में इन्हें डरपोक शिक्षक के रूप में ही जाना जाता रहा है, हाँ यह अपने शुरूआती दौर के काफी आहात टीचर
रहे है संस्थापक प्राचार्य माथुर साहब ने तो इन्हें निकाल बहार भी किया था क्योंकि यह बदतमीज थे , घमंडी थे , अराजक था इसे माथुर साहब ने इसके तत्कालिन कुलपति कपूर साहब के पैर पकड़ने पर और उनके ही कहने पर पुनः ज्वाइन कराया गया.
दुसरे इसके मित्र तोमर जो बीसियों वर्षों से क्लास में गए ही नहीं वह कार्यवाहक प्राचार्य बने और इन्हें शर्म भी नहीं आयी भला शर्मायें भी कैसे जब ये भाजपा छोड़ते नहीं शरमाये जिसने इन्हें सब कुछ दिया यहाँ तक चार चार बार एम पी बनाया उसको यह आदमी छोड़ गया कहते है आर एस एस वाले पक्के होते है ये कितना कच्चा निकले.
आजकल कांग्रेस में गए है लगता है वहां कुछ हाथ नहीं लगा तो भागे भूत की लंगोट ही सही तो एम एम एच कालेज ही सही. पर इन्हें यह नहीं भूलना चाहिए की घर का जोगी जुगाडिया वाह्य गाँव का संत वह दिन दूर नहीं जब बीसियों साल की बेईमानी का हिसाब संत के महाविद्यालय में इनको देना होगा .......................

Friday, July 31, 2009

कहाँ गए डॉ मनपाल सिंह क्या अघोषित प्राचार्य केशव कुमार तो नहीं ?

कालेज परिसर में मोबाइल फोन व रैगिंग पर रोक

Jul 31, 11:39 pm

गाजियाबाद, वसं : एमएमएच कालेज में मोबाइल फोन के प्रयोग व रैगिंग पर सख्त पाबंदी लगाई गई है। साथ ही यदि कोई छात्र बिना आई कार्ड के कालेज में पाया गया तो उसका प्रवेश भी निरस्त किया जा सकता है।

चीफ प्रॉक्टर डा. केशव कुमार ने बताया कि विश्वविद्यालय ने रैगिंग रोकने व मोबाइल फोन प्रतिबंधित करने पर सख्त रुख अख्तियार किया है। उनका कहना है कि उसी निर्देशानुसार कालेज में यदि कोई रैगिंग करता पाया गया या फिर मोबाइल फोन का प्रयोग करते देखा गया तो उस पर कठोर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी। साथ ही बिना आई कार्ड के कालेज में प्रवेश नहीं दिया जाएगा।


Thursday, July 30, 2009

एम.एम.एच.कालेज गजियाबाद में अराजकता फैलाने में सबसे बड़ा हाथ डॉ मनपाल सिंह का,




एम.एम.एच.कालेज गजियाबाद में अराजकता फैलाने में सबसे बड़ा हाथ डॉ मनपाल सिंह का,कालेज को उन्होंने लूट का अड्डा बना दिया है.जातिबादी लोगो का और परिवारवाद का जिस तरह से केंद्र यह कालेज परिसर बना है,वैसे अराजकतत्व तो छात्रों में भी नहीं है,अपने वरिष्ट शिक्षकों से चापलूसी और नकारे प्राचार्य के पांव पकरकर अपने पांव सोढ़ (पेड़ की जड़)में डाल चुके है,फिजिकल एजुकेशन के वरिष्ट शिक्षक के स्थान पर चापलूस और लुटेरे प्रवृति के टीचेर को विभाग दे दिया जिससे लूटपाट हो सके.
सबसे कमजोर और लालची व्यक्ति को चीफ प्राक्टर बनाया है जिससे वरिष्ठ शिक्षक उसके नीचे है और तो और कई महिला टीचर भी उससे मजबूती से महाविद्यालय का अनुशासन सम्भाल सकती है पर डॉ मनपाल सिंह को अनुशासन पसंद ही नहीं है,घर में बैठा प्रिंसिपली कर रहा है कालेज उजड़ रहा है तथा रात दिन षडयंत्र में लगा रहता है,इसकी कहानी पूर्व सांसद डॉ. र.च.तोमर से पूछिये?
महाविद्यालय में लगभा १५० टीचर है पर डॉ मनपाल सिंह को रास आते है केशव कुमार और उनके रिश्तेदार !
समान अवसर और आदर्श ईमानदारी के जिन संस्थानों में शिक्षण संस्थानों का नाम लिया जाता है वहां के हाल दलाल मंडियों से बदतर है इसका जीता जगाता उदहारण देखना हो तो एम.एम.एच.कालेज गजियाबाद आइये सारे नमूने आपको दिखाई दे जायेंगे ?
डॉ.रचना तोमर

पुलिस की मौजूदगी में छात्रों के दो गुट भिड़े Jul 30, एमएमएच कालेज में भारी पुलिस बल की मौजूदगी में बृहस्पतिवार को छात्रों के दो गुटों में जमकर मारपीट

पुलिस की मौजूदगी में छात्रों के दो गुट भिड़े

Jul 30, 10:57 pm

गाजियाबाद, वरिष्ठ संवाददाता : एमएमएच कालेज में भारी पुलिस बल की मौजूदगी में बृहस्पतिवार को छात्रों के दो गुटों में जमकर मारपीट हुई। एक पक्ष ने दूसरे गुट के छात्रों पर नकदी व चेन लूटने का भी आरोप लगाया है। मामले की तहरीर कोतवाली थाने में दी गई है। खबर लिखे जाने तक मामले की रिपोर्ट दर्ज नहीं हुई थी।

एमएमएच कालेज में बृहस्पतिवार की सुबह करीब 11 बजे सबकुछ सामान्य चल रहा था कि तभी एक काउंटर पर छात्रों के दो गुटों में झगड़ा शुरू हो गया और नौबत मारपीट व लात घूंसों तक आ गई।

एक पक्ष के सोनू यादव ने आरोप लगाया कि वह एमकॉम द्वितीय वर्ष में प्रवेश लेने आया था और काउंटर पर पैसे गिन रहा था। तभी वहां गुड्डू चौधरी, दीपक शर्मा व नीरज आ गए और मारपीट शुरू कर दी। इसके साथ ही वे उसके 11 हजार रुपये व चेन आदि लूटकर तमंचा लहराते हुए फरार हो गए।

यहां गौर करने वाली बात है कि एक दिन पूर्व ही कालेज में प्राचार्य को बंधक बनाए जाने के बाद उसे छावनी में तब्दील कर दिया गया था। छात्र आंदोलन के मदद्ेनजर कालेज पर खासा पुलिस इंतजाम है। जिस समय घटना हुई उस समय भी कालेज में पुलिस बल मौजूद था, लेकिन वह मूकदर्शक बना रहा।

छात्रों ने किया जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन

छात्रों ने किया जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन

Jul 30, 11:14 pm

गाजियाबाद, जासंकें : एमएमएच कालेज में प्रवेश की समस्या को लेकर छात्रों ने जिला मुख्यालय पर प्रदर्शन किया। बाद में समस्या हल करने के लिए नगर मजिस्ट्रेट उमेश कुमार मिश्रा ने चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति से बात की।

कुलपति ने आश्वासन दिया कि यदि कालेज प्रशासन उनसे बात करे तथा पिछले और वर्तमान समय के प्रवेश के संबंध में स्थिति स्पष्ट करे तो समस्या का समाधान कर दिया जाएगा तथा अतिरिक्त कक्षाएं खुलवा दी जाएंगी।

वहीं छात्रों ने चेतावनी दी कि तीन दिन में समस्या का समाधान न होने पर वे जोरदार आंदोलन करेंगे।

17880/2004 DR. RAJESH CHANDRA


HIGH COURT OF JUDICATURE AT ALLAHABAD

CAUSE LIST ALLAHABAD

Cause List
13/02/2008

 
                                                       AT 10.00 A.M.
                    COURT NO.36
 
                    HON'BLE MR. JUSTICE YATINDRA SINGH
                    HON'BLE MR. JUSTICE RAN VIJAI SINGH
                                      For Admission
 WRIT - A                                
  30.       17880/2004 DR. RAJESH CHANDRA              ALOK KUMAR YADAV         
                                                       JAI SINGH
                                                       SANTOSH TRIPATHI
                                                       ASHOK KHARE
                                                       P.S.BAGHEL
                                                       A.K.YADAV
                       Vs. STATE OF U.P. AND OTHERS    C.S.C.                   
                                                       D.K. TRIPATHI
                                                       ARVIND SRIVASTAVA
                                                       ARVIND KHANNA
                                                       N. LAL
                                                       SHAILENDRA
                                                       H.R.MISRA
                                                       ANURAG KHANNA
                                                       S.K. VERMA
                                                       P.K. TYAGI

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20/02/2008

 
                                                       AT 10.00 A.M.
                    COURT NO.36
 
                    HON'BLE MR. JUSTICE YATINDRA SINGH
                    HON'BLE MR. JUSTICE RAN VIJAI SINGH
                                      For Admission
 WRIT - A                                
  34.       17880/2004 DR. RAJESH CHANDRA              ALOK KUMAR YADAV         
                                                       JAI SINGH
                                                       SANTOSH TRIPATHI
                                                       ASHOK KHARE
                                                       P.S.BAGHEL
                                                       A.K.YADAV
                       Vs. STATE OF U.P. AND OTHERS    C.S.C.                   
                                                       D.K. TRIPATHI
                                                       ARVIND SRIVASTAVA
                                                       ARVIND KHANNA
                                                       N. LAL
                                                       SHAILENDRA
                                                       H.R.MISRA
                                                       ANURAG KHANNA
                                                       S.K. VERMA
                                                       P.K. TYAGI